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Bilaspur news:-सेंट्रल जेल में कैदी की हुई मौत, परिजन बोलें जेल में हुई पिटाई, मिलने भी नही दिया गया था, पीठ में चोट के निशान

Bilaspur news:-सेंट्रल जेल में कैदी की हुई मौत, परिजन बोलें जेल में हुई पिटाई, मिलने भी नही दिया गया था, पीठ में चोट के निशान
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By yogeshwari varma

बिलासपुर। सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं परिजनों ने आरोप लगाया है कि जेल में हुई पिटाई के चलते रानू की मौत हुई है। 1 दिन पहले भी जब भी रानू से मिलने गए थे तब उन्हें मिलने नहीं दिया गया था और अचानक मौत के बाद दूसरे दिन में मौत की सूचना दी गई। परिजनों ने जेल प्रबंधन पर रानू की मौत की जिम्मेदार थोंपते हुए बताया है कि रानू की पीठ पर चोट के निशान थे जिससे उसकी पिटाई की आशंका है।

बिलासपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित तालापारा के भरत चौक गीतांजलि कॉलोनी निवासी रानू उर्फ शाहिर अहमद (51) पिता सिराज अहमद को पुलिस ने तेईस अप्रैल को मारपीट की धारा 334 325 और 20 बी एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज जेल दाखिल किया गया था। उसे विचाराधीन बंदी के रूप में जेल में बंद किया गया था। जहां वह जेल के जनरल वार्ड में था। रानू उर्फ शाहिर अहमद के छोटे भाई जफर अहमद खान का आरोप है कि उन्हें मौत की सूचना मंगलवार की दोपहर 1:00 बजे दी गई। जबकि वह सोमवार को भी अपने भाई से मिलने के लिए जाकर रजिस्टर में नाम लिखवा पर्ची भिजवाया था पर घंटों इंतजार के बाद भी मुलाकात के लिए उसके भाई को नहीं बुलाया गया। इससे यह आशंका प्रतीत होती है कि जेल में उसके भाई रानू के साथ इतनी मारपीट की गई होगी कि वह चलने के लायक भी नहीं रहा होगा। इसलिए मामला बाहर आने से छुपाने के लिए जेल अफसरों ने मुलाकात नहीं करवाई। फिर अचानक दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 1:00 बजे सूचना दी गई कि इलाज के दौरान रात को उनके भाई की मौत हो गई है।

वही इस मामले में जेल प्रबंधन का कहना है कि आरोपी की मानसिक स्थिति सही नहीं थी। वह मनोरोगी था और जब से जेल आया था तब से दवाइयां लेता था। सोमवार की रात अचानक उसकी तबीयत खराब हुई और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे तेज बुखार भी था जिसके चलते उसका पहले जेल में प्रारंभिक इलाज किया गया फिर उसे अच्छे इलाज के लिए सिम्स रेफर किया गया। जहां इलाज के दौरान रात को 12:05 में उसकी मौत हो गई। जब की रानू उर्फ शाहिर अहमद के परिजनों का आरोप है कि रानू किसी भी तरह से बीमार नहीं था ना हीं वह मानसिक रोगी था वह पूर्णतया स्वस्थ और हम लोग अक्सर जेल जाकर उससे मिलते थे और हमारी बात भी होती थी। जेल प्रबंधन की लापरवाही के चलते ही रानू की मौत हुई है। उसके पीठ समेत शरीर के कई हिस्सों में चोट के निशान हैं। जिससे ऐसा लग रहा है कि जेल में उसकी पिटाई हुई है। अब जेल प्रबंधन अपनी गलती छुपाने के लिए उसे मानसिक रोगी बता रहा है।

वही जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने मीडिया को बताया कि मारपीट करने की बात निराधार है,साथ ही मिलने नहीं देने की बात भी गलत है। मौसम के चलते बंदी को तेज बुखार हुआ और उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी इसके चलते उसे अस्पताल में इलाज के बाद सिम्स हॉस्पिटल रेफर किया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के कारणों का पता पीएम रिपोर्ट से चल सकेगा। बता दे कि इससे पहले भी 10 फरवरी को एनडीपीएस के मामले में कोटा थाना के एक आरोपी की जेल में मौत हो चुकी है।

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